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जीवन में यदि संघर्ष न रहे, तो जीवित रहना ही व्यर्थ है

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जीवन में यदि संघर्ष न रहे, तो जीवित रहना ही व्यर्थ है  भाई राजीव दीक्षित को सुने यूट्यूब पर हमने अपने हाथ अपनी आंखों पर रख लिए हैं और कह रहे हैं कि सब ओर अंधेरा है। हाथ अलग करें, आपको प्रकाश दिखने लगेगा, जो पहले भी था। असफलताएं जीवन का सौन्दर्य हैं। जीवन में यदि संघर्ष न रहे, तो जीवित रहना ही व्यर्थ है। असफलताएं छोटी फिसलनें हैं। इसलिए असफलताओं की चिंता न करें, वे बिलकुल स्वाभाविक है। आदर्श को सामने रखकर हजार बार आगे बढ़ने का प्रयत्न करें। यदि आप हजार बार भी असफल होते हो, तो एक बार फिर प्रयत्न करें। कमजोरी का इलाज कमजोरी का विचार करना नहीं बल्कि शक्ति का विचार करना है जो कि मनुष्य में पहले SWAMI VIVEKANANDA से ही है। मानवजाति के आज तक के इतिहास में महान पुरुषों और स्त्रियों के जीवन में यदि सब से बड़ी प्रवर्तक शक्ति कोई है, तो वह आत्मविश्वास है। यह एक बड़ी सच्चाई है। शक्ति ही जीवन और कमजोरी ही मृत्यु है। 'जड़' यदि शक्तिशाली है, तो 'विचार' सर्वशक्तिमान है। इस विचार को अपने जीवन में उतारें। इच्छाशक्ति ही सब से अधिक बलवती है। इसके सामने हर एक वस्तु झुक सकती है,...

शक्ति में सफलता का मंत्र

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सफलता प्राप्त करने के लिए जबरदस्त सतत प्रयत्न और जबरदस्त इच्छा रखो। प्रयत्नशील व्यक्ति कहता है 'मैं समुद्र पी जाऊंगा, मेरी इच्छा से पर्वत टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे।' इस प्रकार की शक्ति और इच्छा रखो। कड़ा परिश्रम करो। तुम अपने उद्देश्य को निश्चित पा जाओगे। Bhai Rajiv Dixit ji यह एक बड़ी सच्चाई है, शक्ति ही जीवन और कमजोरी ही मृत्यु है। शक्ति परम सुख है। अजर अमर जीवन है। कमजोरी कभी ना हटने वाला बोल बोझ और यंत्रणा है। कमजोरी ही मृत्यु है। संसार को बस कुछ सौ साहसी स्त्री-पुरुषों की आवश्यकता है। उस साहस का अभ्यास करो। जिसमें सच्चाई जानने की हिम्मत है, जिसमें जीवन के सत्य को बतलाने की हिम्मत है, जो मृत्यु से नहीं कांपता, मृत्यु का स्वागत करता है और मनुष्य को बतलाता है कि वह अमर आत्मा है, समस्त विश्व में कोई उसका हनन नहीं कर सकता। तब तुम स्वतंत्र हो जाओगे। असफलता की चिंता मत करो। असफलता स्वाभाविक है। असफलताएं जीवन के सौंदर्य हैं। जीवन में यदि संघर्ष ना रहे तो जीवित रहना ही व्यर्थ है। संघर्ष और त्रुटियों की परवाह मत करो। असफलताओं पर ध्यान मत दो। यह छोटी-छोटी फिसलनें हैं। यदि ...

बड़ा बनना चाहते हैं, तो पहले छोटे काम करना सीखें महान शिक्षाविद एवं समाजसुधारक ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी• विद्या सबसे अनमोल धन है;

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बड़ा बनना चाहते हैं, तो पहले छोटे काम करना सीखें महान शिक्षाविद एवं समाजसुधारक ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी • विद्या सबसे अनमोल धन है; इसके आने मात्र से ही सिर्फ अपना ही नहीं अपितु पूरे समाज का कल्याण होता है। • संसार में सफल और सुखी वही लोग हैं जिनके अंदर विनय हो और विनय विद्या से ही आती है। • जो व्यक्ति दूसरों के काम ना आए वास्तव में वह मनुष्य नहीं है। • समस्त जीवों में मनुष्य सर्वश्रेष्ठ बताया गया है; क्योंकि उसके पास आत्मविवेक और आत्मज्ञान है। • कोई मनुष्य अगर बड़ा बनना चाहता है, तो वह छोटे से छोटा काम करे क्योंकि स्वावलंबी ही श्रेष्ठ होते हैं। •बिना कष्ट के ये जीवन बिना नाविक की नाव जैसा है, जिसमें खुद का कोई विवेक नहीं • अगर सफल और प्रतिष्ठित बनना है, तो झुकना सीखो। क्योंकि जो झुकते नहीं, समय की हवा उन्हें झुका देती है। • एक मनुष्य का सबसे बड़ा कर्म दूसरों की भलाई और सहयोग होना चाहिए जो एक संपन्न राष्ट्र का निर्माण करता है। • मनुष्य कितना भी बड़ा क्यों न बन जाए, उसे हमेशा अपना अतीत याद करते रहना चाहिए। • अपने हित से पहले, समाज और देश के हित को देखना एक विवेक युक्त सच्चे...

आपके काम ही संस्कार हैं, इसी से चरित्र बनता है

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आपके काम ही संस्कार हैं, इसी से चरित्र बनता है गीता का मूल सूत्र है- निरंतर कर्म करते रहो, लेकिन उसमें आसक्त मत हो जाओ। जिस ओर मन का विशेष झुकाव होता है, मोटे रूप से उसे ही 'संस्कार' कह सकते हैं। यदि मन को एक तालाब मान लिया जाए, तो उसमें उठने वाली हर लहर शांत होने के बाद भी पूरी तरह खत्म नहीं हो जाती। वह एक प्रकार का चिह्न छोड़ जाती है साथ ही ऐसी संभावना का निर्माण कर जाती है, जिससे वह लहर दोबारा फिर से उठ सके। इस चिह्न तथा इस लहर के फिर से उठने की संभावना को मिलाकर हम संस्कार कह सकते हैं। हमारा हर काम, प्रत्येक अंग-संचालन, हरेक विचार हमारे मन पर इसी प्रकार का एक संस्कार छोड़ जाता है। भले ही ये संस्कार ऊपरी दृष्टि से स्पष्ट न हों, लेकिन अज्ञात रूप से अंदर ही अंदर कार्य करने में विशेष प्रबल होते हैं। हम हर क्षण जो कुछ हैं, वह इन संस्कारों के समुदाय से ही नियमित होता है। मैं इस क्षण जो कुछ हूं, वह मेरे जीवन के अतीत के समस्त संस्कारों का प्रभाव है। इसे ही 'चरित्र' कहते हैं और प्रत्येक मनुष्य का चरित्र इन संस्कारों की समष्टि द्वारा ही नियमित होता है। यदि अच्छे ...

अच्छे लोग~बुरे लोग

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अच्छे लोग, बुरे लोग बहुत समय पहले की बात है। एक बार एक गुरुजी गंगा किनारे स्थित एक गांव में अपने शिष्यों के साथ स्नान कर रहे थे। तभी एक राहगीर आया और उनसे पूछा, 'महाराज, इस गांव में कैसे लोग रहते हैं, दरअसल, मैं अपने मौजूदा निवास स्थान से कहीं और जाना चाहता हूं?' गुरुजी बोले, 'जहां तुम अभी रहते हो, वहां किस प्रकार के लोग रहते हैं?' मत पूछिए महाराज, 'वहां तो एक से एक कपटी, दुष्ट और बुरे लोग बसे हुए हैं।' राहगीर बोला। गुरु जी बोले, 'इस गांव में भी बिलकुल उसी तरह के लोग रहते हैं, कपटी, दुष्ट, बुरे।' यह सुनकर राहगीर आगे बढ़ गया। कुछ समय बाद एक दूसरा राहगीर वहां से गुजरा। उसने भी गुरु जी से वही प्रश्न पूछा, 'मुझे किसी नयी जगह में रहना है, क्या आप बता सकते हैं कि इस गांव में कैसे लोग रहते हैं?' 'जहां तुम अभी निवास करते हो वहां किस प्रकार के लोग रहते हैं?' गुरु जी ने इस राहगीर से भी वही प्रश्न पूछा। 'जी, वहां तो बड़े सभ्य, सुलझे और अच्छे लोग रहते हैं।' राहगीर बोला। 'तुम्हें बिलकुल उसी प्रकार के लोग यहां भी मिलेंगे, सभ्य, सुलझे और अच्...

🐄🥛क्या गाय का दूध हमारे लिए है ?

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गाय का दूध पीने के कई फ़ायदे हैं:  गाय का दूध प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन डी, और विटामिन बी12 जैसे पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है. यह गुणवत्तापूर्ण प्रोटीन का भंडार है. इसमें नौ आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं. यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करने और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं और ऊतकों की मरम्मत के लिए ज़रूरी है. यह आंखों की रोशनी को सुधारने में मदद करता है. यह इस्केमिक स्ट्रोक के जोखिम को कम करता है. यह हड्डियों को मज़बूत बनाने और स्वस्थ दांतों को बढ़ावा देने के लिए एक बढ़िया विकल्प है. यह ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद करता है.

शहीद भगत सिंह के कुछ अनमोल विचार :-

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शहीद भगत सिंह के कुछ अनमोल विचार ये हैं:  "राख का हर एक कण, मेरी गर्मी से गतिमान है. मैं एक ऐसा पागल हूं, जो जेल में भी आजाद है". "जो भी व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है, उसे हर एक रुढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमें अविश्वास करना होगा, तथा उसे चुनौती देनी होगी". "बम और पिस्तौल क्रांति नहीं करते". "प्रेमी, पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं". "आलोचना और स्वतंत्र सोच एक क्रांतिकारी के दो अनिवार्य गुण हैं". "मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है". "सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है". "बुराई इसलिए नहीं बढ़ रही है कि बुरे लोग बढ़ गए है, बल्कि बुराई इसलिए बढ़ रही है क्योंकि बुराई सहन करने वाले लोग बढ़ गए है". "इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज्बातों से, अगर मैं इश्क लिखना भी चाहूं, तो इंकलाब लिख जाता हूं".